कर्म सिद्धांत - निरूपण

कर्म सिद्धांत

तू कुछ कर, तू कुछ मत कर
हर किये का, फल होगा

तू अंदर कर, बाहर कर
खुले मे कर, बंद कमरेमे कर

मनमे कर, कृतिमे कर
आंखे खोलके कर, या बंद करके कर

अकेले कर, या साथ कर
किसिके लिये कर, या खुदके लिये कर

समझ मे कर, या नासमझीमे कर
भरोसेसे कर,वया ऐसेही कर

हारके कर, या जितके कर
बतानेके लिये कर, या दिखाने के लिये कर

पैसेके लिये कर,वया मुफ्त मे कर
अपने नामसे कर, या भगवानके नामसे कर

जीनेके लिये कर, या खिलाने के लिये कर
जागते हुये कर, या सोते हुये कर

मदत मे कर, या मस्तीमे कर
क्रोध् मे कर, या शांतिसे कर

अपमानमे कर, या गर्वमे कर
चिंतामे कर, या भय मे कर

मंजूरी से कर, या नामंजुरी से कर
हंस के कर, या रोते हुये कर

सिखानेके लिये कर, या बोध मे कर
सार्थ कर, या परमार्थ कर

हर एक कर्म का, नियत फैसला करती है
सारे सिद्धांत, उस कर्म सिद्धांत से है

बुरा कर, बुराही होगा
अच्छा कर, बहुत अच्छा होगा

कर भला तो ही, हो भला
वरना जीवन आगे, जो हो; सो भला

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सद्गुरू तारणहार

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