गझल - हरनजर हमारी उनकी खातिर तरसती है
दिलोंकी बात है तो, धड़कन यही बताती है
दिल की धड़कन, हो...हो..., ये दिल भी उनकी; खातिर धड़कता है
जिंदगी में प्यार, इक नई बात लगती है
प्यार का नशा पुराना, बस हम नए; खिलाडी है
सफ़र में वो हमसफ़र, तो सफ़र की क्या बात है
जब वो सफ़रमें, तो हम बेखबर मुसाफिर है
श्याम रोजकी मगर, आजकल अजीब लगती है
वो न आयी तो, बेवजा वो श्याम है
नजर की बात है, तो वो क्यूँ नजर; नहीं आती
हरनजर हमारी, उनकी खातिर तरसती है
© सचिन पु. कुलकर्णी
sachin.kulkarni78@gmail.com
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