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Wednesday, March 30, 2011

हिंदी - भजन - आज अचानक मन है एकांत

ll भजन ll

आज अचानक  मन है एकांत

आज अचानक  मन है एकांत
मन सोचे क्या है ये जुग का अंत

कही मचे भगदड़, कही हो कंप
कही कुदरत लगे घोर भयंकर
जी सोचे क्या करम किये है
जो ये हमको दिखना पडत है
क्या करे कैसे ह्रदय हो शांत
आज अचानक मन में एकांत                ll  ll     

कोई धन चोरे, कोई चोरे नीति
किसीभी अनुज में रही नहीं रीती
क्या सोचके भगवन् रचीथी धरती
क्या पाया सब हो गयी रेती
क्या करे कैसे मन हो शांत  
आज अचानक  मन है एकांत                                  ll  ll

जैसे लिखाता ब्रह्मन् दिख रहा कलियुग
हर एक कपटी, नहीं रहा सतयुग
भस्म की राह चल रहे सब लोग
नाम जो बोलू तेरा तो छुटे जाये भोग
क्या करे कैसे जिया हो शांत
आज अचानक  मन है एकांत                                  ll  ll

अब नहीं सहत; तोरा साथ दिलाओ
कुछ भी करो प्रभु कृपा दे दिलाओ
जैसा तुम कहे हम तेरी राह पर
ये जीवन सारा वारा है तुमपर
कितना तड़प रहे हम भगवंत
आज अचानक  मन है एकांत                                ll  ll

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